गुरुत्वाकर्षण(Gravitation) तथा केप्लर के ग्रहीय गति के नियम-

        गुरुत्वाकर्षण(Gravitation)

 ब्रह्मांड में स्थित  पिडो के मध्य लगने वाले आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं जैसे पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य एक बल कार्य करता है जो चंद्रमा को पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में चक्कर लगाने के लिए उत्तरदाई है


सूर्य(sun)-

 जो स्वयं एक ऊर्जा का स्रोत है तारा कहलाता है सूर्य भी एक तारा है |

  1. सूर्य से प्रकाश किरण पृथ्वी तक आने में 500 सेकंड लेती है |

  2.  पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है|

  3. सूर्य की सतह का तापमान 6000 K है |

  4. सूर्य का व्यास 13 लाख 90  हजार किलोमीटर है| जो पृथ्वी के व्यास का 109 गुना है|

  5.  सूर्य का द्रव्यमान  2 × 1030  किलोग्राम है जो पृथ्वी के द्रव्यमान का 330000 गुना है |

  6.  सूर्य का घनत्व पृथ्वी के घनत्व का 1/4 गुना है |

केप्लर के  ग्रहीय गति के नियम-

  केप्लर ने ग्रहों के गति के तीन नियम प्रतिपादित किए हैं जो जो निम्न प्रकार हैं|


First Rule: 

                प्रत्येक ग्रह सूर्य के परित: एक दीर्घ वृत्ताकार मार्ग में गति करता है और सूर्य उस मार्ग के किसी एक   फोकस  स्थित होता है|

Second Rule: 

सूर्य एवं  ग्रह को मिलाने वाली रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल तय करती है अर्थात ग्रहों के क्षेत्रफलीय  चाल  समान होती है|

Third Rule:

सूर्य के चारों ओर किसी ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग दीर्घ वृत्त की अर्ध दीर्घ अक्ष  के घन के अनुक्रमानुपाती होता है |


    कैपलर के नियम द्वारा न्यूटन के निष्कर्ष 


  1.  प्रत्येक  ग्रह पर सूर्य की ओर बल लगता है 

  2. यह बल ग्रह के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है

  3. सूर्य व ग्रह की बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है|

गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी न्यूटन का नियम:

 इस नियम के अनुसार ब्रह्मांड में स्थित प्रत्येक कण एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । किन्ही दो पिडो के मध्य  लगने वाला आकर्षण बल उनके पारस्परिक  द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा की दूरी के वर्ग के  व्युत्क्रमानुपाती होता है  ।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. प्रयोग द्वारा G  का मान 6.67× 10-११ होता है|

  2. यह मान  कैवेन्दिस नामक वैज्ञानिक ने ज्ञात किया G का मान   इतना कम होने के कारण  इसका अनुभव नहीं कर पाते परन्तु आकाशीय इतने बड़े होते हैं कि आकर्षण बल का परिमाण बढ़ जाता है ।

  3. आकाशीय पिंड को वृत्तीय गति करते रहने के लिए एक अभिकेंद्र बल  गुरुत्वाकर्षण बल से ही प्राप्त होता है 

  4. यह बल 10-१० m या  10 Aसे कम की दूरी पर कार्य नहीं करता है इससे कम दूरियों पर ससंजक तथा आसंजक कल कार्य करता है 

  5. गुरुत्व बल अन्योन(interaction)  का सबसे दुर्बल बल है|


 बलों की प्रबलता का घटता क्रम निम्न प्रकार है 


 नाभिकीय बल  >   वैद्युत बल   > चुंबकीय बल  > गुरुत्व बल

  1. समस्त  ब्रह्मांड का सबसे मजबूत और प्रभावी बल नाभिकीय बल है| 
  2. गुरुत्व बल बल सदैव आकर्षण बल होते हैं जबकि वैद्युत बल आकर्षण एवं प्रतिकर्षण दोनों प्रकार के होतेहैं|
  3. गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम पर निर्भर नहीं करता जबकि वैद्युत बल  माध्यम पर निर्भर करता है |

 गुरुत्वीय त्वरण:

 गुरुत्व  वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी अपने  समीप किसी वस्तु को  केंद्र की ओर  खींचती  है  | 

स्वतंत्रता पूर्वक गिरने वाली किसी वस्तु के वेग में वृद्धि की दर को  गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं|

इसे g(small g)से प्रदर्शित करते हैं

g का मान  प्रत्येक स्थान पर लगभग समान होना चाहिए परंतु पृथ्वी का  अपनी धूरी  में घूर्णन के कारण परिवर्तित हो जाता है g  का मान का मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है 

  1. निर्वात में अलग-अलग द्रव्यमान की  वस्तुओं को समान ऊंचाई से एक साथ छोड़ने पर समान समय पर पृथ्वी पर आएंगी

  2.  वायु में गिराए जाने पर अधिक घनत्व वाली वस्तु पहले आएगी परंतु कम घनत्व वाली वस्तु देर से आएगी जैसे 1 किलोग्राम लोहा तथा 1 किलोग्राम रुई को वायु में समान ऊंचाई से एक साथ छोड़ने पर लोहा पृथ्वी पर पहले पहुंचेगा तथा रुई का बंडल बाद में पहुंचेगा क्योंकि लोहे का घनत्व अधिकतम है और रुई का घनत्व कम है इसके कारण रुई देर से पहुंचेगी|

  3. इसका प्रमुख कारण वायु द्वारा लगाया जाने वाला उत्प्लावन बल है|

  4. जिस वस्तु का जितना ज्यादा गर्म होता है उतना ज्यादा ही जड़त्व होता है


    




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