जीवाणु जनित रोग,तपेदिक,टाइफाइड,टिटनेस notes in hindi tricks

  जीवाणु जनित रोग

मानव शरीर में होने वाली ऐसी बीमारियां एवं रोग जो प्राय: जीवाणुओं के कारण होती हैं ऐसी बीमारियों को हम जीवाणु जनित बीमारियां कहते हैं | ऐसी बीमारिया  घातक  एवं शारीरिक रूप से लाचार बना देती हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार---

जीवाणु जनित रोग


तपेदिक:

 इसे सामान्य रूप से ट्यूबरक्लोसिस या TB कहते हैं  जो माइकोबैक्टेरियम जीवाणु द्वारा जनित होती है यह  लसीका  गांठ  एवं रक्तदान द्वारा फैलती है  यह बीमारी प्रमुख रूप से फेफड़ों में होती अधिकांश लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि इसका जीवन अक्रिय अवस्था में शरीर में रहता है परंतु जिन व्यक्तियों में प्रतिरक्षा तंत्र या एंटीबॉडी सिस्टम कमजोर होता है या ऐसे व्यक्ति जो एचआईवी ग्रसित होते हैं उनमें यह सक्रिय हो जाता है  जो ग्रसित   ऊतक  एवं अंगों की मृत्यु का कारण बनता है यदि समय पर इस बीमारी की दवा ना हो तो मनुष्य की मौत भी हो सकती है तथा जो व्यक्ति  पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में लगातार रहते हैं उन पर भी यह फैलता है अक्रिय अवस्था में इसका इलाज दवाइयों द्वारा  संभव है|

टाइफाइड:

यह रोग सालमोना  टाइफी  जीवाणु द्वारा होता है यह जीवाणु विषाक्त जल  एवं भोजन द्वारा  छोटी आत में चला जाता है तथा फिर रुधिर द्वारा शरीर के अन्य अंगों में पहुंचता है और उन को प्रभावित करता है इसके प्रमुख लक्षणों में  तेज बुखार कमजोरी पेट दर्द कब्ज सिर दर्द भूख में कमी तथा गंभीर अवस्था में साथ में रोग होने से मृत्यु भी हो सकती है इसके निदान के लिए वाइडल टेस्ट Widal test  करवाया जाता है जिससे इस बीमारी का पता चलता है इसका इलाज समानत:  दवा द्वारा संभव है|

टिटनेस:

 यह बीमारी क्लासट्रिडियम या बेसिलस टिटेनी  जीवाणु द्वारा फैलता है इस ग्रुप में लंबे समय तक तंत्रिका तंत्र पेशियों में संकुचन होता रहता है मानव में प्रमुख रूप से किसी  लौह युक्त    पदार्थ से कटने  से फैलता है इसका उपचार कटने के तुरंत पश्चात इंजेक्शन द्वारा होता है इसके समय-समय पर इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं |

 कोढ:

  यह बीमारी माइक्रोबैक्टीरियम लैप्री जीवाणु जनित होता है इस रोग का संक्रमण रोगी व्यक्ति से लंबा तथा नजदीकी संबंध होने पर होता है इसके प्रमुख लक्षणों में शरीर पर चकत्ते  ऊतक का अपक्षय  एवं तंत्रिका में प्रभावित होती हैं इसकी रोकथाम एमडीटी MDT  दवाई के प्रयोग द्वारा जिसमें 3 दवाइयां आती हैं जो निम्नलिखित हैं

         डॅप्सोन , क्लोफाजिमिन  तथा  रिफैमिसीन है

हैजा:

  यह रोग  विब्रियो कोलेरी  जीवाणु द्वारा जनित होती है इस रोग का संक्रमण रोग ग्रस्त भोजन अथवा पानी से एवं घरेलू मक्खी से होता है इनके प्रमुख लक्षणों में रोगी के शरीर में जल की कमी   धीमा रुधिर प्रवाह उल्टी ,दस्त तथा मांसपेशियों में खिंचाव  होता है इसकी रोकथाम पूरी तरह से पका हुआ भोजन तथा उबला जल पीना चाहिए साथ में हैजे का टीकाकरण भी करवाना चाहिए जिससे इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके|

डिप्थीरिया :

बीमारी कोरनी बैक्टीरियम डिप्थीरिया जीवाणु द्वारा जनित होती है इसके संक्रमण का मतलब रोगी द्वारा  खांसने एवं संक्रमित दूध के माध्यम द्वारा होता है इनके प्रमुख लक्षणों में  सांस लेने में दिक्कत  हल्का बुखार तथा गले में कृत्रिम झिल्ली  का निर्माण हो जाता है   इसकी रोकथाम के लिए डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन का टीका लगवाना चाहिए तथा रोगी से उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए|

आंत ज्वर :

 यह बुखार प्रमुख रूप से सालमोनेला टाइफोसा  जीवाणु द्वारा होता है इसके संक्रमण का माध्यम पानी की गंदगी द्वारा फैलता है तथा संक्रमित भोजन द्वारा भी फैलता है इसके  प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं प्लीहा तथा   आंत की ग्रंथियों में सूजन बुखार तथा लाल चकत्ते पड़ना इसके प्रमुख लक्षण हैं इसकी रोकथाम पूरी तरह से साफ सफाई भोजन तथा पानी शुद्ध लेना चाहिए तथा साथ में   क्लोरोमायसेटिन  दवा का प्रयोग करना चाहिए|

प्लेग :

यह रोग बेसलेस  पेस्टिस  जीवाणु द्वारा जनित होता है तथा इसका संक्रमण चूहों पर पाए जाने   वाले पिस्सू .

द्वारा होता है जिसमें    जेनोपसिला केऑपीस सबसे घातक पिस्सू है इसके प्रमुख  लक्षण शारीरिक दर्द , गिल्टी,  कांख तथा गर्दन की ग्रंथियों में सूजन  आ जाती है तथा  न्यूमोनिक प्लेग में  हल्का सा बुखार आ जाता है तथा सेप्टीसेमिक  प्लेग में रुधिर में जीवाणु फैल जाते हैं इसकी रोकथाम  सल्फा ड्रग   स्ट्रैप्टो माइसीन  दवाइयों द्वारा तथा साथ में चूहों को घर में घुसने से रोकना चाहिए जिससे इसके संक्रमण का खतरा कम हो सके|

निमोनिया :

 यह रोग डिप्लोकोक्कस न्यूमोनी जीवाणु द्वारा होता है  जिसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के    खांसने  से फैले जीवाणु द्वारा होता है इसके प्रमुख लक्षण    मैं  तेज बुखार , सांस लेने में कठिनाई तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है इसकी रोकथाम ठंड से बचाव तथा प्रतिजैविक की दवाइयों का प्रयोग करके किया जा सकता है|

काली खांसी :

 यह रोग  हिमोफिलस  परट्यूसिस  जीवाणु द्वारा होता है  इसके संक्रमण का कारण हवा में  फैले  रोगाणुओं द्वारा होता है यह रोक प्रमुख रूप से बच्चों में होता है इस रोग में रात में खांसी आती है जिसके बचाव के लिए बच्चों को डीपीटी DPT  का टीका लगवाना चाहिए  इसकी रोकथाम की जा सके |

सिफलिस :

 यह रोग  ट्रैपों नेमा  पैलेडम जीवाणु द्वारा होता है जिसका संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध द्वारा होता है इसके लक्षण में सिस्न  एवं योनि पर लाल चकत्ते तथा जननांगों में दर्द होने लगता है और सूजन आ जाती हैं इसकी रोकथाम के लिए पेनिसिलिन प्रतिजैविक  का प्रयोग किया जाता है

गोनोरिया:

  यह रोग  नाइसेरिया  गोनोरियाइ  जीवाणु द्वारा  होता है जिसका संक्रमण रोगी व्यक्ति से संभोग करने पर फैलता है तथा इसमें    मूत्रजननपथ  की  म्यूकस में संक्रमण होता है जिस के लक्षण जोड़ों में दर्द मूत्र मार्ग में लालपन,दर्द , ,सूजन  आ जाती है कभी-कभी मवाद भी बनने लगती है जिस की रोकथाम सुरक्षित संभोग टेटरासाइक्लिन,      स्ट्रैप्टोमाइसीन  आदि प्रतिजैविक की दवाइयों द्वारा किया जाता है |


उपरोक्त सभी बीमारियों को आप इस ट्रिक के माध्यम से भी याद कर सकते हैं जो काफी लाजवाब एवं याद करने में आसान है----

जीवाणु जनित रोग



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