भौतिकी(physics) क्या है? तथा अभिकेंद्र बल, वृत्तीय गति व्युत्पन्न राशियां एवं मात्रक

 

 भौतिकी(physics) क्या है?

 ग्रीक शब्द  fusis  से लिया गया है जिसमें द्रव्य ऊर्जा एवं उनकी पारस्परिक  अभिक्रिया का अध्ययन किया जाता है।

मात्रक -

 राशि का मात्रक जिसमें उस  राशि को मापा जाता है मात्रक कहलाता है।


 मात्रकों की  3 पद्धतियां है।


 1  C.G.S  पद्धति


 2  F.P.S   पद्धति


 3  M.K.S  पद्धति 


 इन तीनों पद्धतियों में सबसे महत्वपूर्ण पद्धति एमकेएस पद्धति है और इन सभी के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय पद्धति है          जिसे SI  पद्धति कहते हैं 


मूल राशियां -    ---->      मोल (mol)


 व्युत्पन्न राशियां एवं मात्रक-

  वे राशियां  जिनका निर्माण  मूल  मूल राशियों की सहायता से होता है  व्युत्पन्न राशियां कहलाती हैं  तथा इन राशियों की माप जिन मात्रकों में की जाती है उन्हें  व्युत्पन्न  मात्रक कहते हैं



कुछ महत्वपूर्ण व्युत्पन्न राशियां एवं उनके मात्रक जो प्रायः प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते हैं-



      व्युत्पन्न  राशियां                  व्युत्पन्न मात्रक


     क्षेत्रफल         ---->       वर्ग मीटर

     आयतन         ---->        घन मीटर

     घनत्व            ---->         किलोग्राम/ घन मीटर

      वेग               ---->        मीटर/ सेकंड

     त्वरण             ---->       मीटर / सेकंड स्क्वायर 

      बल               ---->         न्यूटन

      कार्य              ---->       जूल

     संवेग              ---->        किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर

     शक्ति             ---->         जूल प्रति सेकंड

     दा ब               ---->        न्यूटन प्रति मीटर स्क्वायर 

    पृष्ठ तनाव          ---->        न्यूटन प्रति मीटर

     कोणीय वेग       ---->      रेडियन  प्रति सेकंड

घर्षण-

 जब कोई वस्तु   किसी दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर फिसलती है तब उस पर  गति के विपरीत के विपरीत दिशा में बल कार्य करता है इस बल को घर्षण बल कहते हैं


                        घर्षण बल एक निश्चित सीमांत मान तक बढ़ता है इसे सीमांत घर्षण बल कहते हैं



घर्षण बल दो प्रकार का होता है

1.  गतिज घर्षण बल-   गति अवस्था में लगने वाला घर्षण बल  गतिज घर्षण बल कहलाता है


2. स्थैतिक घर्षण बल-  गति अवस्था  में आने से पूर्व लगने वाला घर्षण बल स्थैतिक घर्षण बल कहलाता है


नियम 1-

          घर्षण बल संपर्क तल में रखे दो तालों के मध्य लग रही अभिलंब प्रतिक्रिया के अनुक्रमानुपाती एवं गति की विपरीत दिशा में कार्य करता है


                       Image friction 




   वृत्तीय गति

 जब वस्तु जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर  अपने  पथ  को दोहराते हैं तो इस प्रकार की गति को   वृत्तीय  गति कहते हैं  यदि यह गति एक समान चाल से हो तो इसे एक समान वृत्तीय गति कहते हैं



 


कोणीय वेग   - 

कोणीय विस्थापन  की दर को कोणीय वेग  कहते हैं


अभिकेंद्रत्वरण -

जब कोई वस्तु  एक समान चाल से वृत्तीय पथ पर गति करता है तो उसकी दिशा बदलती रहती हैं जिससे उसका वेग बदलता रहता है। इस दशा में कण की गति की दिशा के लंबवत तथा केंद्र की ओर एक बल कार्य करता है जिसे अभिकेंद्र बल कहते हैं तथा केंद्र की ओर  दिष्ट त्वरण  को अभिकेंद्र त्वरण कहते हैं।    


अभिकेंद्र बल-

 जब कोई वस्तु एक समान चाल से r  त्रिज्या के पथ पर   गति करती है तब उस पर एक अभिकेंद्र त्वरण कार्य करता है जिसका परिमाण  अचर  रहता है  और दिशा केंद्र की ओर रहती है अभिकेंद्र बल कहलाता है



                             अभिकेंद्र बल के बराबर एवं विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया बल कार्य करता है


 जैसे 


        मौत के कुआं में घूमते हुए व्यक्ति पर बाहर की ओर एक बल कार्य करता है जोकि अंदर की ओर लग रहे अभिकेंद्र बल के ठीक बराबर एवं विपरीत हो होता है ।


 इसी प्रकार जब किसी पत्थर को रस्सी से बांधकर तेजी से घुमाया जाता है तो बाहर की ओर एक बस कार्यकर्ता है जो कि अब केंद्र बल  के विपरीत एवं बराबर होता है।


  कोणीय गति  एवं रेखीय गति के समीकरण





  कोणीय संवेग संरक्षण सिद्धांत- 

बाहरी बल आघूर्ण की अनुपस्थिति में किसी  घूर्णनअक्ष  के परित: किसी वस्तु अथवा वस्तु समूह का कुल कोणीय संवेग अपरिवर्तित रहता है इसे ही कोणीय  संवेग संरक्षण  का सिद्धांत कहते हैं


               J = IW =I’W’      

   Where 


              W = omega(ओमेगा)


 उदाहरण :-

             तैराक पानी में कूदने से पहले अपने शरीर को मोड़ लेता है जिससे उसके शरीर का कोणीय   संवेग संरक्षण रहता है और वह आसानी से पानी में कूद जाता है ।


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