पृष्ठ तनाव की परिभाषा लिखिए?
पृष्ठ तनाव से संबंधित प्रश्न ?
प्रत्येक द्रव्य मुखपृष्ठ में सिकुड़ कर न्यूनतम क्षेत्रफल को धारण करने की प्रवृत्ति होती है मानो यह तनाव की अवस्था में हो किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गई काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत कार्य करता है यदि यह रेखा की लंबाई L रेखा के लंबवत कार्य करता है तो---->
पृष्ठ तनाव का सूत्र
पृष्ठ तनाव = बल् / लंबाई = किया गया कार्य/ क्षेत्रफल में परिवर्तन
T = F/L = W/A
पृष्ठ तनाव का सीजीएस पद्धति में मात्रक क्या है?
इसका मात्रक न्यूटन प्रति मीटर या जूल प्रति वर्गमीटर होता है|
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पृष्ठ तनाव पर ताप तथा अशुद्धियों का प्रभाव क्या है ?
किसी द्रव के पृष्ठ तनाव का मान द्रव के ताप पर तथा द्रव के पृष्ठ के दूसरी ओर के माध्यम पर निर्भर करता है |
- द्रव का ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव घटता है
- क्रांतिक ताप पर द्रव का पृष्ठ तनाव 0 हो जाता है |
- पृष्ठ तनाव के कारण ही द्रव की बूंदे गोली आकार में गिरते हैं
पृष्ठ तनाव के उदाहरण :
धातु के तार का एक फ्रेम लेकर उसे साबुन के घोल में डालकर बाहर निकालने पर इसमें साबुन के घोल की झिल्ली बन जाती है दिल्ली पर गीले धागे का एक रूप रखें अब लूप के मध्य झिल्ली को किसी पिन से तोड़े तो लूप शीघ्रता से वृत्ताकार हो जाएगा इसका कारण पृष्ठ तनाव ही है|
जब पारे की कुछ मात्रा को कांच की सा प्लेट पर फैलाया जाता है तो वह गोलाकार बूंदों की आकृति में बदल जाता है बूंद की इस आकृति का निर्धारण पृष्ठ तनाव तथा गुरुत्व बल के कारण होता है पृष्ठ तनाव के कारण ही द्रव की बूंदे गोलाकार होती हैं क्योंकि इन पर गुरुत्व बल लगभग शून्य के बराबरहोता है|
बड़ी बूंदों में गुरुत्व बल की उपस्थिति होती है जिसके कारण बूंदे मध्य से कुछ चपटी हो जाती हैं जबकि किनारों पर गोलाकार ही रहती हैं|
यदि साबुन के घोल को गर्म कर दिया जाए तो इसका पृष्ठ तनाव कम हो जाएगा तथा कपड़ों की भी अधिक सफाई करता है क्योंकि आप फैलने पर अधिक क्षेत्रफल तय करता है|
घाव धोने वाली दवाइयों (जैसे डिटोल) का पृष्ठ तनाव जल की अपेक्षा कम होता है आंतों में बनी छोटी-छोटी दरारों में भी पहुंच जाता है जिससे घाव की सफाई भली-भांति को जाती है|
प्लास्टिक की गुड़िया के एक और कपूर का टुकड़ा चिपकाकर उसे जल मैं छोड़ने पर चिपके हुए कपूर की विपरीत दिशा में भागती है यदि पानी के मिट्टी का तेल छिड़क दिया जाए तो कपूर के टुकड़े अथवा कार का चलना बंद हो जाता है क्योंकि तेल मिश्रित पानी का पृष्ठ तनाव कपूर के घोल के प् पृष्ठ तनाव की अपेक्षा कम हो जाता है|
यदि पानी भरे गड्ढे में मिट्टी का तेल छिड़क दिया जाए तो उसके पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है पृष्ठ तनाव कम होने से उसकी सतह की झिल्ली टूट जाती है जिससे उसमें रहने वाले मच्छर डूब कर मर जाते हैं|
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शेविंग के बाद पानी के अंदर फैल जाते हैं परंतु जैसे ही बाहर निकाले जाते है तो यह आपस में चिपक जाते हैं इसका कारण पानी के बाहर वालों के बीच द्रव की एक फिल्म बन जाती है जो पृष्ठ तनाव के कारण न्यूनतम क्षेत्रफल ग्रहण करने का प्रयास करती है जिससे बालों को आपस में चिपका देती है |
आसंजक बल (Adhesive Force) :
दो भिन्न प्रकार के पदार्थों के लगने वाले अंतरा आणविक आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं |
स्याही कागज के बीच आसंजक बल स्याही के ससंजक बल से अधिक होता है जिसके कारण लिखते समय से कागज पर चिपक जाती है जिससे लिखना संभव हो जाता है किस बल के कारण ही ब्लैक बोर्ड पर चौक से लिखने पर चौक से लिखे गए अक्षर उभर आते हैं|
जल से भीगी कांच की प्लेट को सुखाने के लिए इसे ऐसे पदार्थ से पहुंचते हैं जिसका जल के अणुओं के लिए आसंजक बल कांच की अपेक्षा अधिक होता है जैसे सूखा खुरदरा कपड़ा रेशमी तथा नायलॉन के कपड़े काजल के लिए आसंजक बल कम होता है आता इससे भी गीली प्लेट को आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता |
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आसंजक बल के कारण ही थेलियम (thellium )की कि परखनली में पारा रखने पर पारा नली की दीवार से चिपक जाता है|
ससंजक बल (Cohesivs Force):
एक ही पदार्थ के विभिन्न अणुओं के मध्य लगने वाले अंतरा आणविक आकर्षण बल को ससंजक बल कहते हैं| यह ठोसों तथा द्रव में अधिक परंतु गैसों में सबसे कम लगभग शून्य के बराबर होता है|
कांच की प्लेट जेल में डालने पर इसलिए गीली होती है क्योंकि जल के अणु कांच के अणुओं से आसंजक बल के कारण चिपक जाते हैं|
जल से भीगी कांच की दो चिपकी प्लेटों को अलग करने के लिए जल के अणु के बीच लगने वाले ससंजक बल के विरुद्ध काफी बल लगाना पड़ता है |
जल के अणु , कांच आदि के बीच लगने वाला ससंजक बल अणुओं के बीच की दूरी की सातवीं घात के व्युत्क्रमानुपाती होता है \
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पृष्ठ तनाव एवं पृष्ठ ऊर्जा में संबंध स्थापित कीजिए?
पृष्ठ ऊर्जा (Surface Energy) :
जो कि मुक्त पृष्ठ पर उपस्थित अणुओं पर एक परिणामी बल नीचे की ओर कार्य करता है ब्रो के अंदर उपस्थित अणुओं को जब पृष्ठ पर लाया जाता है तो इस अंतरा आणविक बल के विरुद्ध एक कार्य करना पड़ता है यह कार्य अणु में स्थिति ऊर्जा के रूप में संग्रहित हो जाता है
यही स्थिति ऊर्जा द्रव की पृष्ठ ऊर्जा कहलाती है दूसरे शब्दों में
द्रव के पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर अंगों में उपस्थित इस अतिरिक्त स्थितिज ऊर्जा की मात्रा द्रव की पृष्ठ ऊर्जा कहलाती है अतः या परिभाषित करता है की नियत ताप पर द्रव के दिए गए क्षेत्रफल पर किए गए कार्य की मात्रा पृष्ठ तनाव के विरुद्ध होती हैं
पृष्ठ ऊर्जा का मात्रक:
इस का एस आई मात्रक जूल प्रति मीटर स्क्वायर तथा विमा [MT-2]
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